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Showing posts from July, 2019

@zomato VS # I Support Amit

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आपने भी कभी किसी का धर्म पूछकर उसके हाथ का खाना खाया है क्या ? अगर आप खाने के शौकीन हैं,और खास तौर पर किसी का धर्म पूछकर उसके हाथ का खाना खातें हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत ही महत्पूर्ण है,क्योंकि जोमैटो इंडिया ने एक ऐसा ट्वीट कर दिया है जिससे आपका मन थोड़ा-सा विचलित हो सकता है। दरसरल मामला यह है कि अमित शुक्ला नाम के एक व्यक्ति ने ज़ोमैटों से खाना ऑर्डर किया, जिसके बाद खाने की डिलिवरी की जिम्मेदारी एक फैयाज नाम के डिलिवरी बॉय को दि गई, लेकिन अमित को फैयाज का धर्म पसंद नही आया और अमित ने ज़ोमैटों से अपना डिलिवरी बॉय बदलने की बात कही पर ज़ोमैटों ने इससे साफ इंकार कर दिया। जिसके बाद अमित ने अपना आर्डर कैंसिल कर दिया और पैसे वापस करने को कहा लेकिन ज़ोमैटों ने इससे भी साफ इंकार कर दिया। ज़ोमैटों ने जब पैसे वापस करने से मना कर दिया तो इससे अमित खासा नाराज हो गए और ट्वीटर पर जाकर ज़ोमैटों इंडिया को ट्वीट कर दिया,उन्होने अपने ट्वीट में लिखा "ज़ोमैटो से एक ऑर्डर कैंसिल किया है,क्योंकि इन लोगाों ने मेरा खाना एक गैर हिंदू डिलिवरी बॉय से भिजवाया ह...

कर्नाटक की राजनीतिक नौटंकी

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कर्नाटक की राजनीतिक नौटंकी पार्ट- 1 कर्नाटक एक ऐसा प्रदेश जहां गठबंधन की सरकार आजतक आपना कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और आगे भी सब कुशल-मंगल हो इसकी भी कोई उम्मीद नज़र नहीं आती दिख रही है। 15 मई 2018 को शुरु हुई कर्नाटक की कहानी जो आज भी अधूरी है , 15 मई को विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होते हैं और किसी भी राजनीतिक पार्टी को बहुमत प्राप्त नही होता , परिणाम में बीजेपी को 104 सीटें मिली और वह प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो वहीं कांग्रेस को 78, जेडीएस को 37, बीएसपी , केपीजेपी और निर्दलीययों को एक-एक सीट प्राप्त हुई। यही है वो परिणाम जिसके कारण आजतक कर्नाटक में नाटक जारी है , क्योंकि बीजेपी प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी तो नियम के अनुसार राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया , बी.एस येदियुरप्पा( बीजेपी के उम्मीदवार ) को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई साथ ही बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिनों का समय भी दे डाला.राज्यपाल का बीजेपी को बहुमत सिद्ध करने के लिए इतना लंबा समय देना यह बात कांग्रेस और जेडीएस को नागवार गुजरी और दोनो दलों ने इसक...

'RTI' मुझमें क्या खराबी है ?

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आरटीआई (   राईट टू इन्फाॅरमेशन ) सूचना का अधिकार एक लंबी लड़ाई के बाद  15  जून  2005  को इसे अधिनियमित किया गया और पूर्णतया  12  अक्टूबर  2005  को सम्पूर्ण धाराओं के साथ लागू कर दिया गया। इस अधिकार के साथ जहां भारत का एक नागरिक मजबूत स्थिति में आ गया तो वहीं देश का लोकतंत्र भी मजबूत स्थिति में आ खड़ा हुआ , क्योंकि ये भारत में पहली बार होने जा रहा था कि जिस व्यक्ति को जंतना ने चुना था अब उसकी कार्यशैली   पर भी वह नजर रख सकता था। जहां एक तरफ देश का नागरिक सरकारी    संस्थानों की जानकारी लेने का हकदार हो गया था तो वहीं इस अधिकार में   सेक्शन ( 8)  के तहत   गोपनीयता का भी खास ख्याल रखा गया था।इस अधिकार का पिछले  14  सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है और अबतक इसमें किसी भी प्रकार की कोई कमी नही पाई गई उटला इसमें इजाफे की ही मांग होती रही है , जैसे कि राजनीतिक पार्टियों के पार्टी फंड को सूचना के अधिकार के अंतरगत सम्मिलित करने की मांग समय-समय पर उठती रही है। जबकि इसी  RTI  की वजह से ना ...