ऑटो सेक्टर में मंदी का दौर है या बात कुछ और है !
ऑटोमोबाइल सेक्टर पिछले दो सालों से लगातार मंदी की तरफ बहुत तेजी से
बढ़ रहा है इस सेक्टर में लगातार मंदी ने कई लोगों की नौकरियां छीन ली हैं तो वहीं
आने वाले समय में और भी नौकरीयों के जाने का खतरा मंडरा रहा है। फेडरेशन ऑफ़ ऑटो
डीलर्स एसोसिएशन के मुताबिक सिर्फ पिछले तीन महीनों में ही दो लाख से ज्यादा लोगों
की नौकरियां जा चुकी हैं और अगर हालात जल्द नही सुधरते हैं तो आने वाले समय में इस
सेक्टर से जुड़े लगभग 10 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। इस सेक्टर से जुड़े सभी प्रकार के
लोग इस मंदी से प्रभावित हैं फिर चाहे वो मैन्युफैक्चरर हो या डीलर्स सभी जगह काम
करने वाले लोगों की नौकरियों के जाने का डर बना हुआ है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सिआम) के आंकड़ों के मुताबिक घरेलू बिक्री 18.71% घट गई है। यह 19 साल में सबसे तेज गिरावट है। इससे पहले दिसंबर 2000 में 21.81% कमी दर्ज की गई थी। कार डीलर्स का कहना
है पिछले तीन महीनों में 10 से 15 प्रतिशत सेल्स कम हो गई है, देशभर में 250 से ज्यादा सो रुम बंद दो जुके है,
हाल ही में हीरों मोटोकॉर्प ने सेल्स गिरने के
कारण 15 से 18 अगस्त तक अपनी मैन्युफैक्चरिंग भी रोक दी है।
क्यों बढ़ रहा है ऑटो सेक्टर में मंदी का दौर ?
क्या यह मंदी सिर्फ ऑटो सेक्टर में कम होती डिमांड के कारण है ? इस सेक्टर में काम
करने वाले लोगों की माने तो इसका सिर्फ एक कारण घटती सेल्स नही है इसमें एक बड़ा
कारण 28% प्रतिशत GST भी है, और उसके साथ GST का समान रुप से सभी पर लागू होना भी है। यदि आप डीलर हो या मैन्युफैक्चरर सभी
पर समान रुप से 28% प्रतिशत ही GST लगेगा। ऑटो सेक्टर के लोगों का कहना है कि जो लोग इस सेक्टर में
पार्टस बनाते है और जहां उनकी असेम्बलिंग होती है उसके बाद जो डीलर्स होते हैं इन
सब कि लागत अलग-अलग होती है और ऐसे में सरकार का सब पर एक समान टेक्स लगा देने से
कमाई और लागत में असमानता पैदा होती है,जिसके कारण जितनी लागत होती है उतनी कमाई नही होती और ऐसे में तो 28% प्रतिशत कर बहुत
ज्यादा भी है।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स का कहना है कि सरकार यदि GST कि दर 28% प्रतिशत से घटाकर 18% प्रतिशत कर दे दो इस सेक्टर में सुधार आ सकता है,लेकिन सरकार GST की दर को कम करने पर
असहमत है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकारें GST कम करने के खिलाफ है
क्योंकि इससे उनका सरकारी खजाना कम हो जाएगा और बाकी सेक्टर्स के लोग भी GST कम करने की बात
करेंगे और साथ ही केंद्र सरकार पर उनकी निर्भरता बढ़ जाएगी। सरकार इस सेक्टर को
मंदी से उभारने के लिए कई चिजों पर सोच-विचार कर रही है जैसे बैंक से लोन लेने की
दर कम कर सकती है,लेकिन सरकार को यह नही भूलना चाहिए की इस सेक्टर में मंदी का दौर 2017 से शुरु हुआ है और
इसी साल GST भी लागू हुआ था, इससे पहले कपड़ा उद्योग को भी GST
के कारण नुकसान उठाना पढ़ा था जिसके बाद सूरत और
देश के कई कोनों में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुआ था और सरकार को मजबूरन कुटीर एवं लघु
उद्योगों में तैयार होने वाले कई कपड़ा उत्पादों जैसे हाथ से बने कालीन एवं दरियां, हस्तनिर्मित
पट्टियां, हाथ से बुने तस्वीरों वाले कपड़े,
फीते पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर
पांच प्रतिशत करनी पड़ी थी।
सरकार पर उठ रहें हैं सवाल
तो क्या सरकार की गलत नीतियों के कारण लोगों की
नौकरियां लगातार जा रही हैं ये सवाल उठना भी लाजमी, क्योंकि बड़े पैमाने पर इस
सेक्टर में नौकरियों के जाने का संकट पैदा हुआ है ऐसे में सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े होना तय है,खास तौर पर
तब जब सरकार ने बढ़ती बेरोजगारी की दर को चुनाव से पहले तक छुपाया हो और हर साल
युवाओं को दो करोड़ नौकरीयां देने की बात कही हो। इस बात का फायदा अब विपक्षी दल भी उठा रहे हैं सरकार पर वार करते हुए प्रियंका
गांधी ने ट्वीट कर लिखा है 'देश का आम नागरिक भाजपा सरकार के शीर्ष नेताओं से,वित्त मंत्री से इस
भयंकर मंदी पर भी कुछ सुनना चहता है.' उन्होंने सवाल किया,' फैक्टियां बंद हो रही हैं',नौकरियां खत्म हो रही हैं,लेकिन सरकार के लोगों का मुंह नहीं खुल रहा.क्यों?'
प्रियंका के अलावा बसपा सुप्रीमों ने भी सरकार पर हमला बोला उन्होंने
भी ट्वीट कर लिखा 'देश में व्यापक बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई, अशिक्षा, स्वास्थ्य, तनाव/हिंसा आदि की चिन्ताओं के बीच अब आर्थिक मन्दी का खतरा है, जिससे देश पीड़ित
है। व्यापारी वर्ग भी काफी दुःखी व परेशान है। छटनी आदि के उपायों के बाद वे
आत्महत्या तक को मजबूर हो रहे हैं। केन्द्र इसे पूरी गंभीरता से ले।' अब सबको सरकार के
अगले कदम और अगली GST कॉउन्सिल की बैठक का इंतेजार है।




Comments
Post a Comment