America Abortion Right case: अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने खत्म किया गर्भपात कानून, नागरिको ने जमकर किया प्रर्दशन

America Abortion case: अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 50 साल पुराने रो बनाम वेड (Roe v. Wade) मामले में आए फ़ैसले को पलट दिया है जिसके ज़रिए गर्भपात कराने को क़ानूनी करार दिया गया था और कहा गया था कि संविधान गर्भवती (Abortion) महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को खत्म कर दिया है. इस आदेश को पांच जजों की एक बेंच ने पलटा जिसमें जज सैमुअल अलिटो (Samuel Alito), एमी कोनी बैरेट (Amy Connie Barrett), नील गोरसच (Neil Gorsuch), ब्रेट कवानुघ (Brett Kavanaugh), क्लेरेंस थॉमस(Clarence Thomas) शामिल हैं. इस कानून के मुताबिक अमेरिका में महिलांए गर्भपात नही करा सकती हैं. इस फैसले को लेकर पूरे अमेरिका में इस वक्त बवाल मचा हुआ है, लोग सुप्रीम कोर्ट (Suprem court) के सामने जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं और इस कानून की आलोचना कर रहे हैं.

इस कानून की आलोचना सिर्फ देश के नागरिक ही नहीं बलकि देश के राष्ट्रपति जो बाइडन भी कर रहे हैं, जो बाइडन ने इस कानून का विरोध करते हुए अपने बयान में कहा हैं कि गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य के कानून आज प्रभावी हो रहे हैं - उनमें से कुछ इतने चरम हैं कि महिलाओं को अपने स्वयं के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए भी दंडित किया जा सकता है, यहां तक ​​कि बलात्कार और अनाचार के मामलों में भी, लाखों महिलाओं का स्वास्थ्य और जीवन खतरे में है.

 

वहीं देश की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ट्वीट कर लिखा कि "अमेरिका में आज दसियों लाख औरतें बिना किसी हेल्थ केयर और रीप्रोडक्टिव हेल्थ केयर के हो गयी हैं. अमेरिका की जनता से उसका संवैधानिक अधिकाार छीन लिया गया है."


इस प्रदर्शन में खासकर महिलाएं शामिल हैं, प्रदर्शन करती महिलांए नारे लगाती हुई अपने पोस्टरों के द्वारा  Bans Of my Body, My body My choice, We were never the Land of the Free  जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहीं हैं जिसका मतलब तंज लहजे में है लगाना है तो "हमारे शरीर पर प्रतिबंधन लगाओं" (Bans Of my Body). इस कानून के तहत राज्य गर्भपात की रोक थाम के लिए अगल अगल तरीके कानून के रुप में अपना सकते हैं. राज्य इसे लागू करने के लिए सख्त कानून अपना सकते हैं. अमेरिका में फैसला आने के बाद से ही कई ऐसे गर्भपात क्लिनिक्स (Abortion clinic) जो बंद होने शुरू हो गए हैं.



क्या है रो बनाम वेड मामला

साल 1971 में एक महिला जो गर्भपात कराना चाहती थी लेकिन सरकारी कानूनों के कारण गर्भपात नही करापाई थी उसने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कि जिसमें यह कहा गया कि महिलाओं को गर्भधारण और गर्भपात कराने का हक उनका निजि होना चाहिए और सरकार गर्भपात के लिए आसान सुविधा भी मुहिया कराए. दो साल बाद 1973 में कोर्ट ने इस मामले में अपना फ़ैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को क़ानूनी करार दिया, जिसके बाद अमेरिका में महिलाओं को गर्भपात कराने का कानूनी हक मिल गया और अस्पातलों में भी आसानी से गर्भपात की सुविधा दे दी गई.

अमेरिका में इसको लेकर सब एकमत नही हैं जब यह कानून आया तो उस वक्त अमेरिका के सारे शहर इसका समर्थन नही कर रहे थे, राजनीतिक पार्टीयों का मत भी अलग था. धर्म गुरू भी इससे नराज थे, इस कानून के बाद भी अमेरिका के कई शहर इसको नही मानते थे.  

हर साल अमेरिका में कितने होते हैं गर्भपात 

अमेरिका की एक वेबसाइट Pew Research Centre ने अपनी एक रिपोर्ट में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) और गुट्टमाकर (Guttmacher) संस्थान के माध्यम से लिखा है, सीडीसी के मुताबिक वर्ष 2018 में 619,591 और 2019 में 629,898 गर्भपात हुए. वही गुटमाकर के ताजा उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2019 में 9,16,460 और 2020 में 9,30,160 गर्भपात हुए थे. इन दोनो संस्थान के आकड़े अलग-अलग हैं लेकिन इन आकड़ों के मुताबिक अमेरिका साल 2018 से 2020 के बीच में गर्भपात बढ़ा है. हालांकि संतोषजनक बात यह है कि जब से अमेरिका में कानूनी गर्भपात कानून 1973 बना है तब से साल 2020 तक यह आकड़ा कम हुआ है. इन आकड़ों में गोली खाकर गर्भपात करने वाली महिलाओं का आकड़ा शामिल नही हैं.

 Photo from Pew Research Centre
                                              

बड़ी कम्पनियां गर्भपात करवाने वाली महिलाओं का उठांएगी खर्च 

एक निजि न्यूज चैनल को दिए बयान में अमेरिका की बड़ी मेटा,अमेज़न (Amazon), एप्पल (Apple), टेस्ला( Tesla) जैसी कम्पनियां कहा है कि वह इस बात की योजना बना रहीं हैं कि जो महिला कर्मचारी दूसरे शहरों में जाकर गर्भपात कराना चाहती हैं हम कानूनी प्रक्रिया को देखते हुए उनका खर्च उठाएगें. 

इस बीचराइडशेयर कंपनियों Lyft और Uber ने ड्राइवरों के लिए कानूनी सहायता प्रदान करने की सोची है यदि वे यात्रियों को गर्भपात कराने के लिए मुकदमों में फसते हैं तो कम्पनी इसा खर्चा देगी कम्पनि मालिकों का कहना है कि "हम मानते हैं कि स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच आवश्यक है और परिवहन उस पहुंच में कभी बाधा नहीं होनी चाहिए,"

क्या भारत में  महिलाओं को गर्भपात की अनुमति है ?

भारत में गर्भपात को लेकर कानून काफी जटिल है यहां गर्भ कतने महीने का है और गर्भपात कराने वाली महिला की क्या परिस्थितियां है आखिर वह क्यों अपना गर्भपात कराना चाहती है इन सब बातों पर निर्भर करता है कि उसे गर्भपात कराने की अनुमति मिलेगी की नही. स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय के अनुसार 16 मार्च 2021 भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी (संशोधित) बिल 2020 को राज्यसभा में पास किया गया. जिसके मुताबिक गर्भपात करवाने के लिए मान्य अवधि को 20 हफ़्ते से बढ़ाकर 24 हफ़्ते कर दिया गया. इसमें केवल उन महिलाओं को गर्भपात की अनुमति है जो दुष्कर्म पीड़ित, असुरक्षित महिलाएँ (विकलांग महिलाएँ, नाबालिग) शामिल हैं.


इस संशोधित बिल में 12 और 12-20 हफ़्ते की गर्भवती महिला को किसी एक डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी बताया गया है. जब कि पहले उसे दो डॉक्टरों की सलाह लेनी पढ़ती थी. इसके अलावा महिला अगर 20-24 हफ़्ते की गर्भवती है, तो इसमें कुछ श्रेणी की महिलाओं को दो डॉक्टरों की सलाह लेनी होगी और अगर महिला 24 हफ़्तों से ज़्यादा समय की गर्वती है, और परिस्थितियां उसके पक्ष में होती हैं तो मेडिकल सलाह के बाद ही इजाज़त दी जाएगी.





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