क्या सरकार ने कश्मीरी पंडितों को मरने के लिए छोड़ दिया है ?
भारत समेत कई देशों में रिलीज़ हुई कश्मीर फाइल्स फिल्म ने लगभग हर हिंदुस्तानी के मन को झकझोर कर रख दिया। फिल्म में दिखाई गई कुछ झलकियां इतनी दर्दनाक थी कि लोग उसे देखकर खुद के आंसू नहीं रोक पाए,लेकिन ज़रा आप सोचिए जब 1990 के दौर में हुई वो घटनाएं दोबारा आपके सामने आने लगे तो क्या कहेंगे आप ? आप ही के सामने आपके परिवार वालों को जब आतंकवादी गोलियों से भूनकर चले जायें तो क्या करेंगे आप ?। इन दिनों कश्मीर में ऐसा ही कुछ हो रहा है जैसे मानों 1990 का दौर वापस लौट रहा हो, घाटी में कश्मीरी पंडितो और हिंदुओं की चुन-चुनकर मारा जा रहा है वहां के लोग सरकार से लगातार अपनी जान की भीख मांग रहे हैं, गुहार लगा रहे हैं कि कैसे भी उन्हे किसी सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया जाए लेकिन सरकार क्या कर रही है ? कहने के लिए तो खबर आ रही है कि हमारे देश के गृह मंत्री ने इन हालातों को देखते हुए NSA अजीत डोबाल से मुलाकात की है लेकिन इन मुलाकातों, बैठकों का क्या फायदा जब देश की सुरक्षा का ज़िम्मा उठाने वाली सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के मरने के बाद दुख ज़ाहिर करने के अलावा कुछ नहीं कर पा रही है।
कश्मीर में लगातार आतंकवादी आम लोगों में भय बनाने के लिए उन्हे निशाना बना रहे हैं हाल ही में गुरुवार को कुलगाम में आतंकियों ने एक बैंक में घुसकर बैंक मैनेजर विजय कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी, विजय कुमार राजस्थान के हनुमानगढ़ के रहने वाले थे उनकी तीन महीने पहले ही शादी हुई थी। दो दिन पहले ही कुलगाम के एक सरकारी स्कूल में आतंकियों ने रजनी बाला नाम की टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पिछले महीने 12 मई को बडगाम जिले में तहसील परिसर के भीतर घुसकर क्लर्क राहुल भट की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। रिपोर्ट्स बता रही हैं कि पिछले 26 दिनों में टारगेट किलिंग्स की 9 घटनाएं सामने आई हैं, टारगेटेड किलिंग से घाटी में बचे-खुचे कश्मीरी पंडितों में खौफ बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दो महीने से बाहरी लोगों के लिए सोशल मीडिया पर धमकी भरे पोस्ट सर्कुलेट किए जा रहे हैं।
टारगेट किलिंग्स पर कश्मीर के आईजी विजय कुमार का कहना है कि ये
आतंकियों की रणनीति है कि ऐसे लोगों को निशाना बनाया जाए, ताकि घाटी में उनकी
दहशत बरकरार रह सके। आतंकवादी कश्मीरी पंडितों और आम
लोगों को धमका
रहे हैं, पिछले महीने ही आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम ने धमकाते हुए
कहा था कि
कश्मीरी पंडित या तो घाटी छोड़कर चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें। अब बेबसी के साथ घाटी के
लोग सरकार से ये सवाल कर रहे हैं कि क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं है ? क्या सरकार उन्हे
ऐसे ही मरने के लिए छोड़ देगी....? इसी सवाल के साथ हम
आपको छोड़े जा रहे हैं, आपकी इस विषय पर क्या राय है हमें कमेंट कर ज़रूर बताएं।



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