Goa Political Crisis: गोवा कांग्रेस में मची सियासी हलचल, सोनिया गांधी ने संभाला मोर्चा, कांग्रेस ने लोबो को तत्तकाल नेता विपक्ष से हटाया
Congress Political Crisis: गोवा कांग्रेस में इस वक्त महाराष्ट्र जैसा राजनीतिक संकट गहराया है. कांग्रेस के 8 विधायकों के बीजेपी (BJP) में शामिल होने की बात कही जा रही है. इस बात की जानकारी कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दिनेश गुड्डू राव (Dinesh Gundu Rao) ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी है. गोवा (Goa) में सियासी भूचाल की शुरुआत रविवार सुबह से हुई थी. जिस वक्त कांग्रेस के सात विधायकों ने गोवा के एक होटल में बीजेपी नेताओं के साथ एक बैठक की. हांलाकि, बात सामने आने के बाद कांग्रेस विधायक एलेक्सो सिक्वेरा ने इसे एक शिष्टाचार मुलाकात बताया था. गोवा में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं.
“दिनेश गुड्डू (Dinesh Gundu Rao) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा की हमारे दो तिहाई विधायक बीजेपी (BJP) के सम्पर्क में हैं जोकि कम से कम 8 विधायक होते हैं, मेरे लोगों ने मुझे बताया है कि बीजेपी हमारे विधायकों को खरीदने के लिए मोटी रकम भी दे रही है, रकम भी काफी बड़ी है जिसे सुनकर मै चौक गया.
BJP Wanted A Two-Third Split
— Goa Congress (@INCGoa) July 10, 2022
Proud that our MLAs have resisted and remained with us. They were offered huge amounts of money to defect. pic.twitter.com/NQmuiG34wX
दिनेश गुड्डू (Dinesh Gundu Rao) ने आगे चौकाते हुए बताया कि इस पूरे मामले में हमारे ही दो वरिष्ठ नेता साजिश में शामिल हैं (Michael Lobo) माइकल लोबो (नेता प्रतिपक्ष) और दिगंबर कामत (Digambar Kamat) (पूर्व मुख्यमंत्री), जिसपर पार्टी ने कार्रवाई करते हुए माइकल लोबो को तत्तकाल नेता प्रतिपक्ष के पद से हटा दिया है. दिनेश गुड्डू ने आगे कहा कि हमारे 6 विधायक हमारे साथ हैं जिनपर हमे गर्व है.
गोवा कांग्रेस ने स्पीकर पर उठाए सवाल
माइकल लोबो को नेता प्रतिपक्ष पद से हटाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष अमित पाटकर ने स्पीकर से मिलकर उन्हे पत्र सौंप दिया है जिसकी जानकारी उन्होने ट्वीट कर दी है. दिनेश गुड्डू के अलावा गोवा कांग्रेस ने ट्वीटर पर एक वीडियो साझा कर स्पीकर पर भी सवाल उठाए. वीडियो में स्पीकर एक होटल में जाते दिख रहे हैं.
Late Night Conspiracies and Brokering of Democracy as Speaker Makes Unconstitutional Meetings at 5 Star Hotels. A Speaker must uphold the Laws of the State but he's abusing his Chair to add to political turmoil of the State.@ramesh_tawadkar pic.twitter.com/Q17ivDofSf
— Goa Congress (@INCGoa) July 10, 2022
जिसपर गोवा कांग्रेस ने लिखा “देर रात साजिश और लोकतंत्र की दलाली के रुप में स्पीकर ने 5 सितारा होटल में एक असंवैधानिक बैठक की है. एक स्पीकर को राज्य के कानून को बनाए रखना चाहिए, लेकिन वह राज्य की राजनीतिक उथल-पुथल को जोड़ने के लिए अपनी कुर्सी का दुरपयोग कर रहे हैं”
क्या तीन साल पहले की कहानी दोहरायेगी बीजेपी
तीन साल पहले 10 जुलाई को दलबदल
करते हुए कांग्रेस के 10 विधायकों ने विपक्षी नेता चंद्रकांत बाबू कावलेकर के
नेतृत्व में बीजेपी का दामन थाम लिया था. उस वक्त भी विपक्ष के नेता विधायकों को
तोड़ने में शामिल थे आज भी नेता प्रतिपक्ष पर ही इसका इंजाम लगा है. कांग्रेस
राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी सरकार बनाने में विफल हुई थी.
गोवा में कुल 40 सीटे हैं जिसमें बीजेपी के पास
20 सीटें हैं और 5 अन्य के समर्थन से बीजेपी गोवा में सत्ता पर काबिज है. गोवा
में बहुतमत का आकड़ा 21 है. हालांकि कांग्रेस के विधायक बीजेपी में शामिल हो भी जांए
तो उससे सरकार की स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ेगा सिवाए इस बात के बीजेपी राज्य
में और मजबूत स्थिति में आ जाएगी.
कांग्रेस ने विधायकों को साधने के लिए बुलाई बैठक
कांग्रेस को जैसे ही इस की खबर लगी
की उसके कुछ विधायक बीजेपी के सम्पर्क में हैं कांग्रेस ने तत्तकाल सभी विधायकों
की एक बैठक पार्टी कार्यालय में बुलाई लेकिन बैठक में दिंगबर कामत,
माइकल लोबो, एलेक्सियो सेक्विरा, केदार नाइक, राजेश फलदेसाई, कार्लोस अल्वारेस, यूरी अलेमो, एल्टन डकोस्टा, दलीला लोबो ये सभी नेता बैठक में नहीं पहुंचे. जिसके बाद
दिनेश राव, गिरीश चोडनकरक और अमित पाटकर ने ही
बैठक की.
इस बात से कयास लगाया जा रहा है कि
शायद यही वो नेता है जो बीजेपी मे शामिल हो सकते हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि
सोनिया गांधी ने इस पर संज्ञान लेते हुए मुकुल वासनिक को तुरंत गोवा जाकर स्थिति
को संभालने के लिए कहा है और नाराज विधायकों से सम्पर्क कर उन्हे मनाने के लिए भी
कहा है.
कौन है दिगंबर कामत और माइकल लोबो
दिगंबर कामत का जन्म 8 मार्च 1954 को मडगांव में हुआ था.
दिगंबर (Digumbar kamat) ने विज्ञान में बीएससी की है. दिगंबर कामत ने अपनी राजनीति की शुरुवात
कांग्रेस से की उसके बाद 1994 में कांग्रेस से टिकट ना मिलने के कारण उन्होंने
बीजेपी का दामन थाम लिया था. एक लंबे वक्त तक बीजेपी में रहने के बाद 2005 में
कामत ने कांग्रेस में वापसी की. 2007 में मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर
संभालने से पहले, दिगंबर कामत गोवा के मुख्यमंत्री रहे प्रताप सिंह राणे के
नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में बिजली, खान, कला और संस्कृति मंत्री थे.
कामत की वापसी से कांग्रेस को
फायदा भी हुआ. 2007 में कांग्रेस की फिर
से सरकार बनती है जिसमें दिगंबर (Digumbar kamat) कामत को मुख्यमंत्री बनाया जाता है. 2005 में
दिगंबर ने मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी क्योंकि उन्हे
कांग्रेस में वापसी करनी थी. दिगंबर 2007-2012 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहते हैं.
कामत 2022 में आठवीं बार विधायक बने थे.
2019 में कामत कांग्रेस से सदन में
नेता प्रतिपक्ष बनाए गए थे. कांग्रेस ने कामत को प्रदेश का अध्यक्ष बनाया था और
हालही में उन्हे कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में पर्मानेंट आमंत्रित सदस्य भी बनाया
था. कांग्रेस की यह सबसे बड़ी इकाई मानी जाती है. 2014 में कामत पर राज्य के मुख्यमंत्री
के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अवैध खनन घोटाले में सरकारी खजाने की 35,000 करोड़ रुपये की लूट में शामिल होने का आरोप लगाया गया
था.
माइकल लोबो का राजनीतिक सफर
माइकल विंसेंट लोबो (Michael Lobo) मौजूदा समय में कांग्रेस से विपक्ष के नेता थे लेकिन दलबदल में शामिल होने के आरोपों के बीच उन्हे इस पद से हटा दिया गया है. लोबो (Michael Lobo) कलंगुट विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं. लोबो ने अभी हालही में विधानसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी (BJP) छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था. लोबो इस साल जनवरी तक भाजपा के नेता थे. गोवा (Goa) विधानसभा चुनाव से पहले जनवरी में उन्होंने बीजेपी छोड़ कांग्रेस (Congress) का दामन थाम लिया था.
माइकल लोबो
उत्तरी गोवा भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 1976 में गोवा के मापुसा में पैदा
हुए माइकल लोबो रोमन कैथोलिक हैं. उनकी पत्नी डेलियाला लोबो (Delilah Lobo) भी कांग्रेस से विधायक
है. उन्होने भी पती के साथ ही बीजेपी का दमन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई थीं.
माइकल लोबो (Michael Lobo) पहली बार 2012 में भाजपा की टिकट पर कलंगुट से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. वह प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) सरकार में मंत्री भी बने थे. चुनाव से पहले सावंत (Pramod Sawant) सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे.
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