Maharashtra politics: बीजेपी ने क्यों दे दिया शिंदे को मुख्यमंत्री पद

 

Maharashtra politics: महाराष्ट्र में 2.5 साल के ब्रेक के बाद बीजेपी फिर से सत्ता में आ गई है, एकनाथ शिंदे (Eknath shinde) ने वो कर दिखाया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. हफ्ते भर से चले आ रहे सियासी ड्रामे को देखते हुए ये तो हम सभी जान रहे थे कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सरकार सत्ता से बाहर जाने वाली है, लेकिन इसकी कल्पना किसी ने नही कि थी कि बीजेपी (Bjp) महाराष्ट्र की सत्ता में लौटने के लिए देवेंद्र फडणवीस (Devendra fadnavis) को ही दांव पर लगा देगी और शिंदे (Eknath shinde) को मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा. महाराष्ट्र (Maharashtra) के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh koshyari) से मुलाकात के बाद देवेंद्र फडणवीस (Devendra fadnavis) और एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने एलान किया कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेंगे. इस दौरान देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि वो सरकार से बाहर रहेंगे. आज शाम साढ़े सात बजे सिर्फ एकनाथ शिंदे ही शपथ लेंगे. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जनता ने महाविकास अघाड़ी (MVA) को बहुमत नहीं दिया था. चुनाव के बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी. बीजेपी-शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन शिवसेना (Shivsena) ने कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) के साथ मिलकर सरकार बनाई. इसके लिए शिवसेना ने बाला साहेब ठाकरे (Balasaheb thakre) के विचारों को भी ताक पर रख दिया. फडणवीस इस दौरन सरकार बनाने की बात तो कर रहे थे लेकिन उनके चहरे पर मुख्यमंत्री न बनने कि कसक साफ नजर आ रही थी क्योंकि जब फडणवीस सरकार से बाहर रहने कि बात कर रहे थे उसी दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा उनके सरकार में शामिल होने कि बात कर रहे थे.

यह पहली बार था कि आलाकमान का फैसला और फडणवीस की बात मेल नही खा रही थी. इसका मतलब साफ था कि फडणवीस ने बिना बड़े नेताओं से चर्चा किए ही सरकार से बाहर रहने का फैसला किया था जिससे उनकी नाराज की साफ नजर आती दिख रही थी. हालाकि बाद में फडणवीस उपमुख्यमंत्री बनने पर राजी हो गए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकनाथ शिंदे ने बताया कि हम महाराष्ट्र के विकास के लिए एकसाथ आए हैं. हम लोगों को महाविकास अघाड़ी सरकार में काम करने में समस्याएं आ रही थीं. इस बारे में हमने उद्धव ठाकरे को बताया था. हमने अपना पक्ष समझाने की कोशिश की थी. बीजेपी के साथ हमारा नेचुरल गठबंधन था. हम लोग बाला साहेब के विचारों को लेकर आगे बढ़े तो सरकार की ओर से आखिरी में हिंदुत्व को लेकर कुछ फैसले लिए गए.

तो इस तरह से हिंदुत्व को बचाने के लिए शिंदे और बीजेपी ने अपना दांव चल दिया और सूबे में जो महाविकास अघाड़ी बहुमत का दावा कर रही थी, उसने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के चंद मिनटों के अंदर ही हथियार डाल दिए. इस तरह ढाई साल पहले बनी महा विकास अघाड़ी सरकार धाराशाही हो गई और अब बीजेपी 31 महीने के बाद फिर से महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी कर रही है. हालांकि, उद्धव ठाकरे की सरकार बचाने के लिए शिवसेना ने अंत तक बगावती गुट में फूट डालने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के साथ मजबूती से खड़े रहे और अंजाम ये हुआ कि शिंदे बने महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री.

एकनाथ शिंदे पार्षद से मुख्यमंत्री बनने तक

एकनाथ शिंदे 18 साल कि उर्म में शिवसेना को ज्वाइन करते हैं उसके बाद वह 1997 में पहली बार शिवसेना से ठाणे नगर निगम पार्षद का चुनाव लड़ते हैं जिसमें उन्हे जीत मिलती है. जिसके बाद साल 2001 में वह नगर निगम में सदन के विपक्ष के नेता बनते हैं जिसके बाद 2002 में वह दोबारा पार्षद बनते हैं. इसके बाद वह पहली बार ठाणे विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बनते हैं और सदन में पहुंचते हैं. ऐसा कहा जाता है कि नारायण राणे और राज ठाकरे के पार्टी छोड़ने के बाद उनका कद शिवसेना में बढ़ा था. शिंदे 2009 में पचपाखड़ी सीट से चुनाव लड़ते हैं और जीत भी जाते हैं इस तरह शिंदे दूसरी बार लगातार विधायक बनते हैं. फिर साल आया 2014 जब शिंदे पहली बार बीजेपी-शिवसेना वाली गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनते हैं जिसके बाद शिंदे का कद शिवसेना में लगातार बढ़ता ही चला गया. शिंदे का कद इतना बढ़ गया कि जिस पार्टी से उन्होने अपनी राजनीति शुरु कि आज उसी पार्टी को तोड़कर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए.

बीजेपी ने क्यों दे दिया मुख्यमंत्री पद

राजनीति में जैसा सोचा जाए अकसर वैसा हो यह जरुरी नही है खासकर तब जब निर्णय करने वाली पार्टी बीजेपी (BJP) हो, बीजेपी ने हमेशा ही अपने फैसलों से सबको चौकाया है. इस बार भी बीजेपी ने ऐसा ही किया जहां फडणवीस (Devendra fadnavis) मुख्यमंत्री बनने की खुशी में मिठाई खा रहे थे वहीं बीजेपी (BJP) ने उन्हे ही बली का बकरा बना दिया. लेकिन कहते है बीजेपी बहुत दूर का सोचती है सबसे बड़ी पार्टी होने के बावाजूद उसने ऐसे ही नही मुख्यमंत्री पद शिंदे को दे दिया. जानकारों का कहना है कि इसके पीछे हो सकता है कि बीजेपी 2024 को साधना चाहती है और साथ ही शिंदे को अपने साथ लाकर वह हिन्दुत्वा का टैग शिवसेना (Shivsena) से छीनकर उसे कमजोर करना चाहती है जिससे वह देश में और महाराष्ट्र (Maharastra) में अकेले हिन्दुत्व की पार्टी कही जा सके, कहते है ऐसा करने से उद्धव कमजोर होंगे और उनका वोटबैंक सीधे बीजेपी में शामिल हो जाएगा. बीजेपी को लेकर अब यह धारणा आम हो गई है कि वह जिस भी स्थानीए पार्टियों के साथ गठबंधन करती है अकसर उसे ही नुकसान पहुंचाती है उदाहरण के तौर पर हम बिहार को देख सकते हैं जहां कभी सबसे पार्टी कहीं जाने वाली जेडीयू (JDU) आज सबसे तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है वही हाल शिवसेना (Shivsena) का भी हुआ. अब देखना होगा कि क्या बीजेपी (BJP) ने जैसा सोचकर मुख्यमंत्री पद शिंदे को दिया है उसमें कामयाब होगी कि नही, क्या शिवसेना को कमजोर करके बीजेपी को फायदा होगा अब ये आने वाला वक्त ही बताएगा.


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