MP Municipal Election Result: भाजपा जीतकर भी हारी, कमलनाथ ने शिवराज को दी कड़ी टक्कर, पढ़िए क्यों हारी BJP
MP Municipal Election Result: मध्यप्रदेश के नगर निगम चुनाव में भाजपा जीतकर भी हारी हुई महसूस कर रही है. चुनाव के पहले चरण के नतीजों से भाजपा (BJP) को नुकसान हुआ है. पहुले चरण में 11 नगर निगम में से 7 पर भाजपा ने जीत हासिल कि वहीं 3 पर कांग्रेस (Congress) का कब्जा रहा. इसी बीज आम आदमी पार्टी (AAP) का भी खाता खुल गया है.
सिंगरौली में आम आदमी पार्टी (AAP) मेयर उम्मीदवार रानी अग्रवाल ने
यहां से जीत हासिल की है. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM पार्षद ने भी चुनाव जीत कर पार्टी को एक उपलब्धि हासिल
करवाई है.
क्यों जीतकर भी हार गई भाजपा
सवाल यह है कि आखिरकार भाजपा 7
सीटें हासिल करके भी हारा हुआ क्यों महसूस कर रही है? दरसल जिन सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल कि है वह भाजपा के
लिए ठीक नहीं माना जा रहा है. कांग्रेस को जबलपुर, ग्वालियर और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) के गढ़
छिंदवाड़ा में जबरदस्त सफलता हासिल हुई है.
कांग्रेस पार्टी में इस वक्त खुशी
की लहर है क्योंकि पार्टी छोड़कर गए ज्योतिरादित्य सिंधिया की सीट ग्वालियर पर कांग्रेस
ने कब्जा कर लिया है. यहां 57 साल बाद कांग्रेस का महापौर होगा. वहीं जबलपुर जो
भाजपा का हुआ करता था और यह बीजेपी के अध्यक्ष जे.पी नड्डा का ससुराल भी है. इस
नगर निगम पर भी कांग्रेस ने सेंध लगा दी है. तीसरा और मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़
छिंदवाड़ा जहां 18 साल बाद कांग्रेस का कब्जा हो गया है.
इस जीत को लेकर कांग्रेस काफी
उत्साहित है क्योंकि यह माना जा रहा है कि यह चुनाव आने वाले विधानसभा चुनाव के
रिजल्ट तैय करेगा. इसपर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने ट्वीट कर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh)
कांग्रेस को बधाई भी दी है.
प्रियंका गांधी जीत पर मध्यप्रदेश
कांग्रेस को बधाई दी है
उन्होने लिखा “मप्र नगर निकाय चुनावों में सराहनीय व साहसी प्रदर्शन के लिए मप्र
कांग्रेस के सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं को बधाई. भाजपा सरकार के चौतरफा हमलों, धन-बल के
बावजूद आपकी जी-तोड़ मेहनत ने आज ग्वालियर नगर निगम में 57 साल बाद व
जबलपुर में 23 साल
बाद कांग्रेस का झंडा गाड़ कर इतिहास रच दिया.
जनमुद्दों पर संघर्ष व जनसेवा के
मूलमंत्र के साथ मैदान में डटे रहिए, आने वाले समय में गांव-गांव, नगर-नगर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जनहितैषी व देश को
जोड़ने वाली विचारधारा का परचम लहराएगा”
मप्र नगर निकाय चुनावों में सराहनीय व साहसी प्रदर्शन के लिए मप्र कांग्रेस के सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं को बधाई।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 17, 2022
भाजपा सरकार के चौतरफा हमलों, धन-बल के बावजूद आपकी जी-तोड़ मेहनत ने आज ग्वालियर नगर निगम में 57 साल बाद व जबलपुर में 23 साल बाद कांग्रेस का झंडा गाड़ कर इतिहास रच दिया। pic.twitter.com/Yx7rY0ahuf
वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश
कांग्रेस ने दो ट्वीट किए पहले ट्वीट में सिंधिया को गद्दार कहा और दूसरे में मीम
साझा कर सिंधिया का मजाक मजाक भी उड़ाया
ग्वालियर ने आज ग़द्दार से बदला ले लिया।
— UP Congress (@INCUttarPradesh) July 17, 2022
विनोद सब देख रहा है… pic.twitter.com/6ktESH7hmv
— UP Congress (@INCUttarPradesh) July 17, 2022
आपको बता दें कि इससे पहले भाजपा
का 16 नगर निगमों पर कब्जा था लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि दूसरे चरण में पांच
नगर निगमों का रिजल्ट 20 जुलाई को आना बाकी हैं. यदि भापजा सारे नगर निगम जीत भी
ले तो भी वह पहले जैसी स्थिति में नही रहेगी क्योंकि इस बार 4 नगर निगम भाजपा के
हाथों से निकल गए हैं.
भाजपा ने भोपाल,
इंदौर, उज्जैन, सतना, बुरहानपुर, खंडवा और सागर में परचम लहराया है,
जबकि पार्टी को छिंदवाड़ा, जबलपुर और ग्वालियर में कांग्रेस से मुकाबले में हार का
सामना करना पड़ा है.
क्या अंतर्कलह ने डुबोई भाजपा की
नईया
जबलपुर (Jabalpur) और ग्वालियर (gwalior) बताया जाता है कि यह वो दो नगर
निगम हैं जो भापजा (BJP) अपने अंतर्कलह के कारण ज्यादा हारी है. ग्लालियर जो
सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का गढ़ माना जाता था यहां उम्मीदवार के चयन को लेकर नरेंद्र
सिंह तोमर (Narendra Singh) और सिंधिया के साथ स्थानीय नेताओं की बैठक भी हुई थी लेकिन
कोई नतीजा नही निकल पाया था.
स्थानीय नेता ब्राह्मण उम्मीदवार
को टिकट देने के लिए अड़े हुए थे. जिससे कहीं न कहीं सिंधिया कमजोर पड़ सकते थे. हालांकि
सिंधिया ने पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा की पत्नी शोभा मिश्रा का नाम देकर सबको चौका
दिया था. तोमर और सिंधिया दोनों के बीच अंतिम समय तक उम्मीदवार के चयन को लेकर
खींचतान की खबरें लगातार बाहर आती रहीं.
जबलपुर (Jabalpur) में भी प्रत्याशी को लेकर स्थानीय
स्तर पर नाराजगी थी. बताया जाता है कि डॉ. जितेंद्र जामदार को महापौर उम्मीदवार
बनाए जाने से कार्यकर्ता नाराज थे, लेकिन पार्टी ने उनकी मांग को अनसुना कर दिया. पार्टी को
इसका नुकसान उठाना पड़ा. शिवराज सिंह (Shivraj
Singh Chauhan) चौहान और पार्टी अध्यक्ष जेपी
नड्डा (J.P Nadda) के चुनाव प्रचार में जाने के बाद भी भाजपा को जबलपुर में
हार का सामना करना पड़ा.
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