Inflation in India: 'आप महंगाई ढूंढ रहे हैं, आपको महंगाई मिल ही नहीं रही, क्योंकि महंगाई है ही नहीं: जयंत सिन्हा के इस बयान में कितनी सच्चाई, पढ़िए ये रिपोर्ट
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| फाइल फोटो: संसद टीवी |
Inflation in India: महंगाई देखने ये चले थे महंगाई इन्हे कहीं मिली ही नहीं लेकिन अगर अपने अंदर देखेगें तो वहां देखने को मिलेगा अगर हमे चिंता महंगाई की करनी है तो उनके राज्यों में करनी है. ये बयान भाजपा के सांसद जयंत सिन्हा का है जो उन्होने ने लोकसभा में विपक्ष द्वारा महंगाई पर उठाए सवालों पर दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी संसद में इसपर कुछ यही बयान दिया था. जहां वित्त मंत्री ने कहा था कि विपक्ष महंगाई का मुद्दा केवल राजनीति करने के लिए उठा रहा है जबकि देश में महंगाई है ही नहीं.
महंगाई को लेकर पिछले कुछ दिनों
में संसद में काफी बवाल मचा रहा. पहले महंगाई की बहस को लेकर बवाल हुआ जिसमें
विपक्ष के कई सांसदों को निलंबित कर दिया गया हालांकि बाद में सभी का निलंबन वापस
भी कर दिया गया. महंगाई पर बहस शुरु हुई तो विपक्ष ने सरकार पर हमला करते हुए देश
में बढ़ रही महंगाई पर जवाब मांगा जिसमें विपक्ष ने एक चिट्ठी का खासतौर पर चिक्र
किया है.
चिट्ठी उत्तर प्रदेश में कन्नौज के एक स्कूल में पहली क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी थी जिसमें उसने बताया था कि वह दुकानदार के पास मैगी लेने गई थी लेकिन दुकानदार ने उसे मैगी नही दी क्योंकि मैगी अब 5 रुपय के बजाय 7 रुपय की हो गई थी. आगे बच्ची ने लिखा कि वह जब अपनी मम्मी से पेंसिल और रबर मांगती है तो वह उसे मारती हैं, मै क्या करुं दूसरे बच्चे मेरी पेंसिल चुरा लेते हैं.
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| फोटो: सोशल मीडिया |
वित्त मंत्री ने महंगाई नहीं है ऐसा साबित करने के लिए अमेरिका से भारत की तुलना कि और कहा कि अमेरिका में महंगाई दर 9% प्रतिशत है जबकि भारत में 7% प्रतिशत है और साथ ही बताया कि अमेरिका में दस साल पहले ये दर 1.45 प्रतिशत थी और उस वक्त भारत में यह आकड़ा दस प्रतिशत तक था. लेकिन यह बताते वक्त वित्त मंत्री ने भारत और अमेरिका में पिछले दस सालों में महंगाई किस दर से बढ़ रही है इसका जिक्र नहीं किया. भारत में पिछले दस साल में महंगाई 5.6 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है जबकि अमेरिका में 2.6 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है.
यदि आप गैस सिलेंडर, पेट्रोल,
डीजल, सीएनजी के दामों को देखे तो पिछले दस सालों में इनके दामों में लगातार इजाफा
देखने को मिला है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने
राज्यसभा में बताया कि उज्जवला योजना के 4.13 करोड़ लाभार्थियों ने कभी सिलेंडर
नहीं भरवाया और 7.67 करोड़ लाभार्थियों ने एक ही बार सिलेंडर भरवाया है.
यानि लोगों ने सिलेंडर तो लिया
लेकिन उसे भरवाने की क्षमता उनमें नही रही. इन सबमें पेट्रोल के दाम हमेश चर्चा
में रहे क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम होने के बावजूद देश
में पेट्रोल के दाम कभी कम नहीं हुए. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनावों में यह 5
से 6 रुपय तक कम हुए थे लेकिन तब भी पेट्रोल की कीमत 90 से 95 रुपय तक थी. लेकिन
चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल के दाम फिर से बढ़ने लगे.
भाजपा सरकार हमेशा से इस बात को
बताती आई है कि जीएसटी (GST) कलेक्शन अच्छा
हो रहा है और यह साल दर साल बढ़ भी रहा है जिसका मतलब सरकार समझती है कि लोग समान
खरीद रहे हैं और डिमांड मार्केट में बढ़ रही है लेकिन सरकार ने यह कभी नहीं बताया
कि यह जीएसटी कलेक्शन कहां से बढ़ रहा?
इस सवाल का जवाब आपको तब मिलेगा जब
आप समान खरीदते समय बिल देखेगें. जीएसटी जब भारत सरकार ने लागू किया था उस वक्त सभी
उद्योग इसकी सूची में नहीं थे लेकिन धीरे-धीरे सरकार ने जीएसटी को रोजमर्रा की
चीजों पर भी लागू कर दिया है उदारण के तौर पर पिछले दिनों दूध, दही, दाल, चावल,
आटा आदि पर सरकार ने 5 प्रतिशत जीएसटी लागू किया था. यदि आप इन चीजों को पैकेट में
खरीदेते हैं तो आपको जीएसटी देना होगा. इसको आप सरल भाषा में समझे तो इसका मतलब है
सरकार ने जीएसटी की लिस्ट को बढ़ा दिया है. मैगी की कीमत भी इसलिए 5 से 7 रुपय हो
गई है जिसका जिक्र बच्ची ने अपनी चिट्ठी में किया है.
अब आप एक बार फिर से जयंत सिन्ह और
निर्मला सितारमण के बयान को पढ़िए और समझने कि कोशिश करिए कि जब देश में महंगाई है
ही नहीं तो चीजों के दाम क्यों बढ़ रहे हैं? महंगाई दर दिन प्रति दिन क्यों बढ़ रही है और विकास दर -7 प्रतिशत तक कैसे
पहुंच गया.
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