Mohammad Zubair Bail:मोहम्मद जुबैर को सभी मामलो में SC से मिली बेल, यूपी में दर्ज केस दिल्ली ट्रांसफर
Mohammad Zubair: ऑल्ट
न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है.
सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में कई एफआईआर दर्ज होने के बाद से जेल में बंद
थे जुबैर. जुबैर की गिरफ्तारी 2018 में किए एक ट्वीट को लेकर हुई थी. जिसके बाद
लगातार उनपर FIR यूपी के कई जिलों चंदौली, मुजफ्फरनगर,लखीमपुर,सीतापुर,हाथरस
में अलग-अलग एफआईआर दर्ज हुई. जुबैर इन सभी मामलों को लेकर जेल में थे. लेकिन
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को सभी मामलों में 20 हजार के निजी मुचलके पर बेल
दे दी है और साथ ही उनके सारे मामलो को दिल्ली ट्रांस्फर कर दिया है.
जस्टिस
डी वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और ए एस बोपन्ना की
बेंच ने यह भी कहा कि ज़ुबैर के पिछले ट्वीट्स को लेकर दर्ज किसी नई एफआईआर में
उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी. आपको बता दे कि दो मामले में जुबैर को पहले SC और पटियाला हाईकोर्ट से जमानत मिली थी लेकिन
अन्य मामलों को लेकर जुबैर जेल में बंद थे. जुबैर पर कुल 6 मामले दर्ज हैं.
अदालत ने आदेश में क्या कहा
आदलत ने आदेश देते हुए कहा कि दो मामलों में से एक मामले में सुप्रीम कोर्ट से ज़ुबैर को बेल मिली थी और दूसरे मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिली थी. फिर भी वह बाकी मामलों के चलते जेल में हैं. ऐसे में जुबैर को असीमित समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता. दिल्ली में दर्ज मामला यूपी से मिलता-जुलता है. इसीलिए यूपी के मामलों को भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में ट्रांसफर किया जा रहा है. कोर्ट अपनी तरफ से किसी भी एफआईआर को रद्द नहीं कर रही है. याचिकाकर्ता चाहे तो दिल्ली हाई कोर्ट में एफआईआर रद्द करने की अपील कर सकता है.
सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए पैसे लेते था जुबैर: वकील यूपी सरकार
इस
मामले में यूपी सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने सुनवाई के दौरान एफआईआर रद्द करने
की मांग का कड़ा विरोध किया था. गरिमा प्रसाद, ने बहस के दौरान कहा कि "ज़ुबैर पत्रकार नहीं है. वह खुद को फैक्ट चेकर बताते है. जुबैर
जान-बूझकर सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाली सामग्रीयों को ट्वीट करता है. गरिमा ने
जुबैर के लिए यह भी कहा कि उन्हे इस तरह के ज़हरीले ट्वीट के लिए पैसे मिलते थे.
साथ ही गरिमा का कहना है कि जुबैर ने खुद माना है कि उसे इसके लिए 2 करोड़ रुपए तक मिले हैं. उसने गाज़ियाबाद के
लोनी में आपसी विवाद में बुजुर्ग की पिटाई को सांप्रदायिक रंग दिया. सीतापुर में
बजरंग मुनि पर पुलिस कार्रवाई के बावजूद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
किया."
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